सत्संग में हरि को नाम हमारो मन सत्संग में।।
भैया ने पिटारा खोल दिया।वामे दिए नाग छुड़वाए,हमारो मन सत्संग में।।सत्संग में हरि को नाम हमारो मन सत्संग में।।
बहनों जब तुम सत्संग में जाइयो। पहले लीनो पिटारा खोल, हमारो मन सत्संग में।।सत्संग में हरि को नाम हमारो मन सत्संग में।।
बहना ने पिटारा खोल लिया। वामें निकला गले का हार,हमारो मन सत्संग में।।सत्संग में हरि को नाम हमारो मन सत्संग में।।
भैया यह हार हमें नहीं चाहिए। मेरी भाभी ने देवो पहनाये,हमारो मन सत्संग में।।सत्संग में हरि को नाम हमारो मन सत्संग में।।
भैया ने पिंजरा खोल दिया। वामें दिया शेर छुड़वाई,हमारो मन सत्संग में।।सत्संग में हरि को नाम हमारो मन सत्संग में।।
बहना सत्संग में तुम जब जइयो। पहले लेईयो पिंजरा खोल,हमारो मन सत्संग में।।सत्संग में हरि को नाम हमारो मन सत्संग में।।
बहना ने पिंजरा खोल लिया। वामें निकली धवला गाय,हमारो मन सत्संग में।।सत्संग में हरि को नाम हमारो मन सत्संग में।।
भैया यह गइया घर को ले जाओ।मेरे पियेंगे भतीजे दूध,हमारो मन सत्संग में।।सत्संग में हरि को नाम हमारो मन सत्संग में।।
भैया ने कमरा खोल दिया। वामी छुड़वाए थे दुष्ट, हमारो मन सत्संग में। सत्संग में हरि को नाम हमारो मन सत्संग में।।
बहना सत्संग में तुम जब जाइयो। पहले लीजो कमरा खोल,हमारो मन सत्संग में। सत्संग में हरि को नाम हमारो मन सत्संग में।।
बहना ने कमरा खोल लिया।। वामें निकले लक्ष्मण राम,हमारो मन सत्संग में। सत्संग में हरि को नाम हमारो मन सत्संग में।।
भैया राम लखन तू घर ले जा। मेरी भाभी करेगी पूजा-पाठ, हमारो मन सत्संग में। सत्संग में हरि को नाम हमारो मन सत्संग में।।