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गुरु भजन लिरिक्स guru bhajan lyrics

Satguru bina ghor andhera re santo,सतगुरु बिना घोर अँधेरा रे संतो,guru bhajan

सतगुरु बिना घोर अँधेरा रे संतो,

सतगुरु बिना घोर अँधेरा रे संतो,
जैसे मंदिर दीपक बिना सूना।नही वस्तु का बेरा,
सतगुरु बिना घोर अँधेरा रे संतो।।🌺🌺🌺🌺

जब तक कन्या रहे कुंवारी,नही पति का बेरा।
आठ पहर वो रहे आलस मे,खेले खेल घनेरा,
सतगुरु बिना घोर अँधेरा रे संतो।।🌺🌺🌺🌺

मिरगा की नाभी मे बसे किस्तुरी,नही मिर्ग न बेरा,🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺
गाफिल होकर फिरे जंगल मे,सुंघे घास घनेरा,
सतगुरु बिना घोर अँधेरा रे संतों।

पथर माही अग्नी व्यापे,नही पथर ने बेरा,
चकमक चोट लगे गुरू गम की, आग फिरे चोफेरा,🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺
सतगुरु बिना घोर अँधेरा रे संतो।।🌺🌺

मोजीदास मिल्या गुरू पुरा,जाग्या भाग भलेरा,
कहे प्राणी शरण सत्गुरु की,गुरु चरना चित मेरा,
सतगुरु बिना घोर अँधेरा रे संतो।।🌺🌺

सतगुरु बिना घोर अँधेरा रे संतो,
जैसे मंदिर दीपक बिना सूना,नही वस्तु का बेरा,
सतगुरु बिना घोर अँधेरा रे संतो।।

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