निर्धन रो धन गिरधारी,निर्धन रो धन साचो रे सांवरा
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मोहन मुरारी बने मनिहारी,नर से नारी बने नंदलाला
ऐसी होली तोहे खिलाऊँ।
दूध छटी को याद दिलाऊँ,अइयो सावरे।
मुझे रास आ गया है, तेरे दर पे सर झुकाना
फूलों में सज रहे हैं, श्री वृन्दावन बिहारी।