मैं कैसे उतरू पार नदिया अघम बहे।
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जानकी प्यारी के, जनक दुलारी के, मन में बसे हैं श्री राम
थोड़ो राम जी ने भज ले गेला,
थने सतगुरु देवे हैला।।
राम राम सा साधन ही, मुक्ति का द्वार है
छोड़ कर संसार जब तू जाएगा
मेरी माला में चौसठ मणिये, कोई राम भजनिया कोन्या
जो बिगड़े सो तेरा राम मेरा क्या बिगड़े।
पाँच तत्व का बना रे पिंजरा,
जा में बोले मेरी मैना
जीवन में जी कर देख लिया,
आराम तो है पर चैन नहीं।
तू राम भजन कर प्राणी, तेरी दो दिन की जिन्दगानी
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