मात पिता से दगो जो करेगो,
चार जनम पछतावेगो,
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जिसको नही है बोध,
तो गुरु ज्ञान क्या करे।
थोड़ो राम जी ने भज ले गेला,
थने सतगुरु देवे हैला।।
गुरुदेव करे सो होय रे मनवा ,
अब कई सोच करे रे।
सद्गुरु प्यारे से,जिसका सम्बन्ध है,
उसको हर दम आनंद ही आनंद है।
गुरु जी मेरे ले लो कलम दवात, लेख मेरे बढ़िया से लिखियो।
मेरे पिछवारे गैल, गाड़ा ररकत में सुनूं ओ माय।
तुम्हीं हो माता पिता तुम्ही हो,तुम्ही हो बंधु सखा तुम्हीं हो।
हे मात पिता गुरुवर मेरे, चरणों में शीश नवाता हूं।