तर्ज,हम तुम चोरी से
जानकी प्यारी के, जनक दुलारी के, मन में बसे हैं श्री राम। जब से देखा है राम को।
मंदिर में जनक दुलारी जब गौरी पूजन आई। सिया रानी की अखियां रघुनंदन से टकराई। देखती ही रह गई, रह गई वह श्री राम को।जानकी प्यारी के, जनक दुलारी के, मन में बसे हैं श्री राम। जब से देखा है राम को।
पूजी जगदंबे भवानी बर मांगा आज निराला। यह वर दो है वरदानी मैं पहनाऊं जयमाला। मैंने तो वर चुन लिया, चुन लिया श्री राम को। जानकी प्यारी के, जनक दुलारी के, मन में बसे हैं श्री राम। जब से देखा है राम को।
जब धनुष राम ने तोड़ा सीता मन में हरसाई। शादी का पहने जोड़ा वह सखियों के संग आई। जानकी पहना रही, पहना रही वरमाला राम को। जानकी प्यारी के, जनक दुलारी के, मन में बसे हैं श्री राम। जब से देखा है राम को।