थारे घट में विराजे भगवान बहार काई ढूंढती फिरे
Category: निर्गुण भजन nirgun Bhajan
जाग रे नर जाग दीवाना,
अब तो मूरख जाग रे ।
माया माया माया हरि जी
मैं तो माया में फस गई रे।
संगत करो नी निर्मल
साध री म्हारी हेली,
आवागमन मिट जाये,
काया मल मल धोई, काया को दुनिया रोई।
घणा दिन सो लियो रे,
अब तो जाग मुसाफिर जाग ।
ले ले सुआ हरी नाम ,
नाम लियां तिर जासी ।
राम गुण गायले रे भाई म्हारा,
जब लग सुखी रे शरीर।
म्हारे राम बाग़ गुलज़ार
म्हारी अजब बाग़ गुलज़ार
बेगम देश वेद से न्यारा,
वहां नही काल पसारा।
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