संगत करो नी निर्मल
साध री म्हारी हेली,
आवागमन मिट जाये,
थारो जन्म मरण मिट जाये ।
चन्दन उगो रे हरिया बाग में म्हारी हेली,
खुशी होइ रे वनराय,
आप सुगन्ध ओरो ने करे म्हारी हेली,
सुगन्ध घणी अंग माय ।
संगत करो नी निर्मल
साध री म्हारी हेली,
आवागमन मिट जाये,
थारो जन्म मरण मिट जाये ।
बांस उगो रे डरे डुंगरे म्हारी हेली,
झुरन लागी वनराय,
आप बले ओरो ने बाले म्हारी हेली,
कपट गांठ अंग माय ।
संगत करो नी निर्मल
साध री म्हारी हेली,
आवागमन मिट जाये,
थारो जन्म मरण मिट जाये ।
दव लागो डरे डुंगरे म्हारी हेली,
मिल गई झालो झाल,
ओर सब पंखैरू उङ गया म्हारी हेली,
हंस राज बैठा आय ।
संगत करो नी निर्मल
साध री म्हारी हेली,
आवागमन मिट जाये,
थारो जन्म मरण मिट जाये ।
चन्दन हंस मुख बोलीया म्हारी हेली,
थे क्यू जलो हंसराज,
मै तो जला पांखा बायरा म्हारी हेली,
जङा पियाला माय ।
संगत करो नी निर्मल
साध री म्हारी हेली,
आवागमन मिट जाये,
थारो जन्म मरण मिट जाये ।
फल खाया ने पान तोङीया म्हारी हेली,
रमीया डालो डाल,
थे जलो ने मै क्यू उबरा म्हारी हेली,
जिवणो कितरा काल ।
संगत करो नी निर्मल
साध री म्हारी हेली,
आवागमन मिट जाये,
थारो जन्म मरण मिट जाये ।
चन्दन हंस रो प्रेम देख ने म्हारी हेली,
दुधा बरसीयो मैह,
कैवे कबीर सा म्हारी हेली,
नित नित नवला वैश ।
संगत करो नी निर्मल
साध री म्हारी हेली,
आवागमन मिट जाये,
थारो जन्म मरण मिट जाये ।