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निर्गुण भजन nirgun Bhajan

Maya Maya Maya hari ji me to maya me fas gayi re,माया माया माया हरि जी मैं तो माया में फस गई रे,nirgun bhajan

माया माया माया हरि जी
मैं तो माया में फस गई रे।

माया माया माया हरि जी
मैं तो माया में फस गई रे।

कमा कमा मैंने माया जोड़ी,
भर दई बैंक तिजोरी हरि जी
मैं तो माया में फस गई रे,
माया माया माया हरि जी
मैं तो माया में फस गई रे।

कोठी बंगला महल बनाए,
बनवा दई हवेली हरी जी
मैं तो माया में फस गई रे,
माया माया माया हरि जी
मैं तो माया में फस गई रे।

एक रोटी मैंने गाय की बनाई,
वह भी छोटी-छोटी हरि जी
मैं तो माया में फस गई रे,
माया माया माया हरि जी
मैं तो माया में फस गई रे।

एक रोटी मैंने कुत्ते की बनाई,
वह भी सबसे छोटी हरि जी
मैं तो माया में फस गई रे,
माया माया माया हरि जी
मैं तो माया में फस गई रे।

धर्मराज का आया रे बुलावा,
पीछे पीछे चल दई हरि जी
मैं तो माया में फस गई रे,
माया माया माया हरि जी
मैं तो माया में फस गई रे।

धर्मराज जब लेखा मांगे,
क्या करनी कर आई हरि जी
मैं तो माया में फस गई रे,
माया माया माया हरि जी
मैं तो माया में फस गई रे।

ना किनी मैंने साधु सेवा,
ना ही किए पुण्य दान हरि जी
मैं तो माया में फस गई रे,
माया माया माया हरि जी
मैं तो माया में फस गई रे।

एक बार मोका देना प्रभु जी,
जीवन सफल बनाऊ हरि जी
मैं तो माया में फस गई रे,
माया माया माया हरि जी
मैं तो माया में फस गई रे।

नाम जपु करूं संतन सेवा,
हाथों से करूं पुण्य दान हरि जी
मैं तो माया में फस गई रे,
माया माया माया हरि जी
मैं तो माया में फस गई रे।

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