।। दोहा ।।
आधी रैन निकल गई, जगत गया सब सोय।
जिनको चिंता पीव की, नींद कहाँ से होय।
बेगम देश वेद से न्यारा,
वहां नही काल पसारा।
साधु भाई बेगम देश हमारा।
राजा रंक फकीर बादशाह,
सब ने करु पुकारा।
जो तुम आवो परम् धाम से,
वसिये लोक हमारा।
साधु भाई बेगम देश हमारा।
बेगम देश वेद से न्यारा,
वहां नही काल पसारा।
साधु भाई बेगम देश हमारा।
जो तुम आवो हल्का होकर,
तजो मान का भारा।
ऐसी रहनी रो मेरे अबधु,
भवजल उतरो पारा।
साधु भाई बेगम देश हमारा।
बेगम देश वेद से न्यारा,
वहां नही काल पसारा।
साधु भाई बेगम देश हमारा।
धर नही घघन पवन नही पानी,
चाँद सूरज नही तारा।
बिन महताब होत उजियारा,
सायब के दरबारा।
साधु भाई बेगम देश हमारा।
बेगम देश वेद से न्यारा,
वहां नही काल पसारा।
साधु भाई बेगम देश हमारा।
लोक लाज कुल कारण मेटो,
कहो शब्द टकसारा।
कह कबीर सुनो भाई साधो,
जाय लगो किनारा।
साधु भाई बेगम देश हमारा।
बेगम देश वेद से न्यारा,
वहां नही काल पसारा।
साधु भाई बेगम देश हमारा।
बेगम देश वेद से न्यारा,
वहां नही काल पसारा।
साधु भाई बेगम देश हमारा।