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निर्गुण भजन nirgun Bhajan

Jag re nar jag diwana ab to murakh jag re,जाग रे नर जाग दीवाना,अब तो मूरख जाग रे,nirgun bhajan

जाग रे नर जाग दीवाना,
अब तो मूरख जाग रे ।

जाग रे नर जाग दीवाना,
अब तो मूरख जाग रे ।
काँहि सूतो घन घोर नींद में,
उठ भजन में लाग रे ।

ध्रुव जी जाग प्रहलाद जी जागा,
जैसे बन्दा जाग रे ।
ध्रुव जी ने मिलगी असल फकीरी,
प्रहलादे ने राज रे ।
जाग रे नर।

जाग रे नर जाग दीवाना,
अब तो मूरख जाग रे ।
काँहि सूतो घन घोर नींद में,
उठ भजन में लाग रे ।

गोरख जाग मच्छेन्दर जागा,
जैसे मूरख जाग रे ।
वां रो चेलो भरतरी जागो,
नगर उज्जैनी त्याग रे ।
जाग रे नर।

जाग रे नर जाग दीवाना,
अब तो मूरख जाग रे ।
काँहि सूतो घन घोर नींद में,
उठ भजन में लाग रे ।

के कोई जागे रोगी भोगी,
के कोई जागे चोर रे ।
कोई जागे भगत राम रो,
लागी राम सूं डोर रे ॥
जाग रे नर।

जाग रे नर जाग दीवाना,
अब तो मूरख जाग रे ।
काँहि सूतो घन घोर नींद में,
उठ भजन में लाग रे ।

तन सहारा भाई मन कारणां,
दो दिन का विश्राम रे ।
तन का चोला जद होया पुराणा,
लागा दान पर दाग रे ॥
जाग रे नर।

जाग रे नर जाग दीवाना,
अब तो मूरख जाग रे ।
काँहि सूतो घन घोर नींद में,
उठ भजन में लाग रे ।

मीरां केवे प्रभु ऐसी जागी,
राम नाम रंग लाग रे ।
सतगुरु झेल दया कर दीनी,
जनम मरण भय भाग रे ।
जाग रे नर।

जाग रे नर जाग दीवाना,
अब तो मूरख जाग रे ।
काँहि सूतो घन घोर नींद में,
उठ भजन में लाग रे ।

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