करके सोलह श्रृंगार, के भोला बन गये नर से नार
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हर देश में तू हर भेष में तू,
तेरे नाम अनेक तू एक ही है,
तू राजा की राजदुलारी,मैं सिर्फ लंगोटे आला सुँ,
बड़ी दूर से चलकर आया हूं,
मेरे बाबा तेरे दर्शन के लिए,
भगवती सामने खुद खड़ी,नाम जपलो घड़ी दो घड़ी
मेरा रूठे ना सतगुरु प्यारा, चाहे सारा जग रूठे
उमर सारी बीत गयी माला न फेरी।
ठुमक ठुमक कर घोड़ो आवे मोतिया जड़ी लगाम
ले लो मोहन माला,मुरली का क्या काम है,
भोलेनाथ की दीवानी गोरा रानी लागे,
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