तू राजा की राजदुलारी,मैं सिर्फ लंगोटे आला सुँ,
भांग रगड़ क पिया करूं मैं,कुंडी सोटे आला सुं।।
पंच धुणया में तपया करूं तुं,आग देख क डरज्यागी,🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺
सौ सौ सर्प पड़े रहं गल में,नाग देख क डरज्यागी,🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺
धरती के महां सोया करूं मैं,
रात देख क डरज्यागी,
राख घोल क पिया करूं मैं,
हाल देख क डरज्यागी,
एक कमंडल एक कटोरा,फुटे लोटे आला सुं,
भांग रगड़ क पिया करूं मैं,कुंडी सोटे आला सुं।।
सौ सौ दासी दास तेर,आड़ एक भी दासी पास नहीं,🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺
महलां आला सुख चाहिए आड़,सतरंज चौपड़ तास नहीं,🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺
तुंं बागांं की कोयल से आड़,बर्फ पड़ै हरि घास नहींं,
सयाल दुसाले ओढ़ण आली मेर,
काम्बल तक भी पास नहींं,
तुंं साहुकार गुजारे आली,
मैं बिल्कुल टोटे आला सुंं,
भांग रगड़ क पिया करूं मैं,
कुंडी सोटे आला सुं।।
पालकी में सैर करै मैं,पैदल सवारी करया करुंं,
पर्वत ऊपर लगा समाधी मैं,अटल अटारी रहया करूंं,🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺
तुं महलां में वास कर मैं,बिन घरबारी रहया करुंं,
बढ़िया भोजन नहीं मिले मैं,पेट पुजारी रहया करूंं,🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺
तन्नै जुल्फा आला बंदड़ा चाहिए,
मैं लाम्बे चौटे आला सुंं,
भांग रगड़ क पिया करूं मैं,
कुंडी सोटे आला सुं।।
मेरी गैल्यां घिरसती आला,खेल खिलाना ठीक नहीं,🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺
सही कहुं सुंं पार्वती तैन्नै,बयाह करवाना ठीक नहीं,🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺
भांग धतुरा पिया करूंं मैंं,तेल पिलाना ठीक नहीं,
मेरी जटा मे गंग बहे उड़ै,मोड़ धराणा ठीक नहीं,
काम बोझ मरज्यागी,मैं जबर भरोटे आला सुंं,
भांग रगड़ क पिया करूं मैं,
कुंडी सोटे आला सुं।।