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निर्गुण भजन nirgun Bhajan

Chod chala Banjara gathdi chod chala,छोड़ चला रे बंजारा,गठडी छोड़ चला बंजारा,Nirgun bhajan

छोड़ चला रे बंजारा,
गठडी छोड़ चला बंजारा।।

छोड़ चला रे बंजारा,
गठडी छोड़ चला बंजारा।।


इस गठरी में चांद और सूरज,
इस गठरी में चांद और सूरज,
इसमें नौ लख तारा,
गठडी छोड़ चला बंजारा।
छोड़ चला रें बंजारा,
गठडी छोड़ चला बंजारा।।


इस गठडी मे सात समुंदर,
इस गठडी मे सात समुंदर,
कोई मीठा ने खारा,
गठडी छोड़ चला बंजारा।
छोड़ चला रें बंजारा,
गठडी छोड़ चला बंजारा।।

इस गठरी में नौबत बाजे,
इस गठरी में नौबत बाजे,
अनहद का झंकारा,
गठडी छोड़ चला बंजारा।
छोड़ चला रें बंजारा,
गठडी छोड़ चला बंजारा।।

कहत कबीर सुनो भाई साधु,
कहत कबीर सुनो भाई साधु,
कोई समझो समझन हारा,
गठडी छोड़ चला बंजारा।
छोड़ चला रें बंजारा,
गठडी छोड़ चला बंजारा।।


छोड़ चला रे बंजारा,
गठडी छोड़ चला बंजारा।।

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