पिले पीताम्बर वालेया मैं केहनी आ,
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छोड़ चला रे बंजारा,
गठडी छोड़ चला बंजारा।।
हे बंजारन तेरा छोड़ चला बंजारा।
जब छोड़ चलु इस दुनिया को,
होठों पे नाम तुम्हारा हो,
छोड़ दे पीतांबर राधे, सभा बीच जाने दे।
संग संग में रहेंगे हम,हमेशा ही अरे मोहना,
कृष्ण गोविंद गोविंद गोपाल नंदलाल
ये तो प्रेम की बात है उधो, बंदगी तेरे बस की नहीं है।
तुम्हीं हो माता पिता तुम्ही हो,तुम्ही हो बंधु सखा तुम्हीं हो।