मेरा माखन ना चुराओ श्याम पैयां पढ़ूँ,
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कान्हा तेरे रूप का तो दिया सा जले।दिया सा जले।गोवर्धन मैदान घाटी पहाड़ के तले।
लंबी हो जा रात, श्याम घर आए हैं।
श्यामा श्यामा रटते रटते, बीती रे उमरिया
लीला रे म्हाने श्याम से मिला दे
खीर जलेबी दाल चुरमो खावे डट के।