अरे मेरी कोठी गड़ री चार, मैं क्यों राम रटन लागी
Tag: charu palla suwa mor moti latke
मोर छड़ी और नीले में जंग छिड़ी है भारी,
कमइले हीरा चाहे मोती, कफ़न में जेब नहीं होती,
में वन का मोर बन जाऊं,और गाऊं राधे राधे।
मोर मुकुट तेरे हाथों में बांसुरीया,
मोर छड़ी के झाड़े से बदल गए हालात
ये नैया अटकी है मझधार।पार करो बालाजी नया बन के खेवनहार
काऊ दिन पाले सुआ उड़ जायेंगे।
वृन्दावन नाचे मोर, अजी मोर,
मैं मोर देखने जाऊँगी,
नजदीक मेरे आने में आफत घबराती है,
मेरे सर पर श्यामधणी की मोरछड़ी लहराती है ,
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