श्यामा आन बसों वृन्दावन में,
मेरी उम्र बीत गयी गोकुल में ।
Tag: Hamri shyama ki kon kare hod
सपना में देख्यो रे म्हाने,
श्याम धणी दातार,
याद किया ना कभी श्याम को, बस माया ही जोडी।
श्याम चाहे वही जो होना है। मेरा श्याम सलोना है।
नजदीक मेरे आने में आफत घबराती है,
मेरे सर पर श्यामधणी की मोरछड़ी लहराती है ,
ओ श्याम जी हमें ना भुलाना,
अपनी शरण में दे दो ठिकाना,
मेरे श्याम बदल ना जाना,
रुत बदले चाहे दिन बदले,
चाहे बदले सारा ज़माना,
महफ़िल है श्याम आपकी,
महफ़िल में आइये ज़रा,
मेरे श्याम ये बता दे,
ये तान कौन सी है
रोये जो श्याम का प्रेमी,
उसे श्याम ही धीर बँधाए,
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