तर्ज, जीजा जोबणिया
कान्हा यो के आई थारा मन में,
गुजरया नचाई वृंदावन में।
कान्हा यो के आई थारा मन में,
गुजरया नचाई वृंदावन में।
आर मोहिनी बजावे बंसी जमुना जी के घाट।
कब आएगी गुजरी म्हारी नीत की देखे बाठ।
घर को काम छोड़ आई आगन में।
गुजरया नचाई वृंदावन में।
कान्हा यो के आई थारा मन में
गुजरया नचाई वृंदावन में।
चुपके चुपके ना करे इशारो ऐसो तीर चलावे।
मुरली ने बजाके सारी गुजरया नचावे।
कान्हा बसगो म्हारा कण कण में।
गुजरया नचाई वृंदावन में।
कान्हा यो के आई थारा मन में
गुजरया नचाई वृंदावन में।