राधे जी के हृदय पटल पर वास तिहारो बिहारी।
Author: Pushpanjali
वृदावन जाने को जी चाहता है,
राधे राधे गाने को जी चाहता है,
मैं तो बांके बिहारी के पांव पड़ूं।पांव पड़ूं में तो पांव पड़ूं
उठवा दे नंद के लाल गगरिया पानी की।
कमइले हीरा चाहे मोती, कफ़न में जेब नहीं होती,
मेरे मन की फसी पतंग किशोरी तेरे महलन में।
सुख थोड़े दुःख घणे जगत मँ, भोग्यां कष्ट सरै राणी।
कर लो मोहन से यारी मेरी राधा प्यारी।
झूम झूम के, नाच नाच के, मन की लगन मिटाऊं। राधे राधे गांऊं।
बिन भाग मिले ना दुनियाँ में अमृत भोग ।।
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