द्वापर में कृष्ण कन्हैया ने,
क्या अद्भुद खेल रचाया था,
Author: Pushpanjali
झूठी दुनिया से हम को बचा ले आजा आजा मेरे खाटू वाले।
मेरे सिरपर गठड़ी भांग की, बेबे जाना पड़े जरूर,भोला बैठ्या बाट में।
तूं आजा रे मोहन प्यारे तुझे राधा बुलाती है
प्रभु ने अजब लिखी तकदीर।
रामा दल में सुलोचना आई, मेरी अरज सुनो रघुराई।
मेरे दिल की पतंग में माँ की डोर तू लगाये देना,
ऐसा कलयुग आया संतो ऐसा कलयुग आया।
जब सर पे है राम का हाथ,चिंता फिर क्या करना।
तेरी मुरली की मैं हूँ गुलाम, मेरे अलबेले श्याम
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