मैं तो बांके बिहारी के पांव पड़ूं।पांव पड़ूं में तो पांव पड़ूं।मैं तो बांके बिहारी के पांव पड़ूं।
मीरा ने जो प्रेम किया था हरि के भरोसे विष को पिया था। मैं भी मीरा के जैसे प्रेम करूं।🌺🌺 मैं तो बांके बिहारी के पांव पड़ूं।मैं तो बांके बिहारी के पांव पड़ूं।
सूरदास ने हरिपद गाया। अंतर मन से दर्शन पाया। मैं भी उनके ही जैसे दर्श करूं। 🌺🌺🌺मैं तो बांके बिहारी के पांव पड़ूं।मैं तो बांके बिहारी के पांव पड़ू।
मैं तो बांके बिहारी के पांव पड़ूं।पांव पड़ूं में तो पांव पड़ूं।मैं तो बांके बिहारी के पांव पड़ूं।
श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारी हे नाथ नारायण वासुदेवा।श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारी हे नाथ नारायण वासुदेवा।श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारी हे नाथ नारायण वासुदेवा।श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारी हे नाथ नारायण वासुदेवा।श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारी हे नाथ नारायण वासुदेवा।