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विविध भजन

Bin bhag mile na duniya me amrit bhog,बिन भाग मिले ना दुनियाँ में अमृत भोग

बिन भाग मिले ना दुनियाँ में अमृत भोग ।।

बिन भाग मिले ना दुनियाँ में अमृत भोग ।।

मधु होत अमृत के समाना, खाय प्राण तज देता स्वाना।
मखियाँ करत गन्दगी नाना, घृत से ही प्राण वियोग।बिन भाग मिले ना दुनियाँ में अमृत भोग।

मिश्री है अमृत से प्यारा, खर को देत तुरन्त जा मारा।
कौवा खाये नीम फल खारा, दाख पकयां गल रोग।बिन भाग मिले ना दुनियाँ में अमृत भोग ।।

जहां कथा होती है हर की, वहाँ नही रहती रुचि नर की ।
के सोवे के बातां घर की, करण लग्या सब लोग।बिन भाग मिले ना दुनियाँ में अमृत भोग ।।

जहां अप्सरा नर्तकी गावे, वहाँ जाकर सारी रैन बितावे ।
तुलसी कहे भाग सँ पावे, सत संगत संयोग।बिन भाग मिले ना दुनियाँ में अमृत भोग ।।

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