हे नारायण हे गोपाल, केशव माधव दीनदयाल।
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जिवडो तरसे नैना बरसे ,हाल हुआ बेहाल।
मुझे सांवरे के दर से कुछ ख़ास मिल गया है।
अपना दहिया तू उतार, गोरी ना जा जमुना पार
मुरली की तान सुनूंगी,कन्हैया तुम्हे जाने ना दूंगी
हे नारायण हे गोपाल, केशव माधव दीनदयाल।
जिवडो तरसे नैना बरसे ,हाल हुआ बेहाल।
मुझे सांवरे के दर से कुछ ख़ास मिल गया है।
अपना दहिया तू उतार, गोरी ना जा जमुना पार
मुरली की तान सुनूंगी,कन्हैया तुम्हे जाने ना दूंगी