खाटू में मची धमाल फागुन आयो रे,
Tag: chalo khatu nagariya
चाहे पूछो धरा गगन से चाहे पूछो अग्नि पवन से,
फागुन की रुत ऐसी आई है खाटू में मस्ती छाई है
म्हारे हिवडे उठी हिलोर भायला खाटू नगरी जावण की,
छाई रै खाटू नगर में बहार,
श्याम मिलन की रूत आई,
जब जब खाटू वाले के भगतो पे विपदा आई,
जलती रहे खाटूवाले,जोत तेरी जलती रहे।
खाटू वाले तेरी ज्योत जलती रहे,
सारी दुनिया को रोशन ये करती रहे,
जो हारा सो पुकारा रे,
पुकारा रे कन्हैया,
खाटू वाले खाटू वाले,
जीवन संग्राम है, ना सुख आराम है, जब तक है खाटू वाला, डरने का क्या काम है।
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