सज के चली राधा प्यारी अरे राधा प्यारी,
Tag: Gurudev ki kutiya ko maine phoolo se sajaya
फूल तुम्हें श्रद्धा के अर्पण हे शिव शंकर त्रिपुरारी।
जिसको नही है बोध,
तो गुरु ज्ञान क्या करे।
फूल कमलों से निकले गणेश ललना,
बाला सा थाने कुण सजाया जी,
म्हारे मनड़ो हर लीनो,
थारी सूरत मतवारी,
तुम हो गुलाब का फूल सतगुरु मेरे।
उड़े जब जब जुल्फें तेरी, सांवरिया का दिल मचले राधा रानी।
ऐसी करी गुरुदेव दया,
मेरा मोह का बन्धन तोड़ दिया।।
राम नाम की नैया लेकर सद्गुरु करें पुकार,
सज रही तुलसा बीच अंगना में, मुरलीवाला बीहाने आया है।
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