उड़े जब जब जुल्फें तेरी, सांवरिया का दिल मचले राधा रानी।
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रास रच्यो है
यमुना के तट हरी
रास रच्यो है
जहाँ बरसाना है वही बस जाना है,
जाना नही है कही और
जुल्मी ऐसी बजाई मुरलिया,
मेरी यमुना में बह गई गागरीया।
तेरी यमुना का ठंडा मीठा नीर,मटकीया भर लेने दे।