भोर भई चिड़िया चैंचायी, कान्हा कलेवा मांगे राम
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दिल की हर धड़कन से,तेरा नाम निकलता हैं।
वह तो अंदर से समझा रहा है हमें, हम समझना ना चाहे तो वह क्या करें
करके सोलह श्रृंगार, के भोला बन गये नर से नार
बज गए ढोल नगाड़े,होय क्या बात हो गई।
हर देश में तू हर भेष में तू,
तेरे नाम अनेक तू एक ही है,
नमो नमो तुलसा महारानी ,
नमो नमो हर जी पटरानी ।
हे नारायण हे गोपाल, केशव माधव दीनदयाल।
तुलसा घूम रही ब्रज धाम, जाने कहां मिलेंगे श्याम।
राधे राधे बोल दुःख जाएगा,
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