बैकुंठ में रहकर गिरधारी,मुरली का बजाना भूल गए
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म्हारा खूब सज्या रे दीनानाथ,
म्हारा मन मोह लिया,
एक दिन मेरे घर आना मेरे बांके बिहारी,
रुकमणी के पति श्री कृष्णा,वो तो मुरली बजाते मिलेंगे।
कैसी बजाई बांसुरिया रे मोहन कैसी बजाई बांसुरिया।
मुरली वाले पे दुनिया दीवानी हो गई।
कितनी सुहानी आई घड़ी है,
मेरे सखा की लगन चढ़ी है,
मिलोगे मोहन तो बताएँगे तो बताएँगे,
तुम्ही सरकार हो मेरे ओ साँवरे ओ साँवरे,
मुझे ये तो बता मुरली वाले , तेरा जलवा कहाँ पर नहीं है।
ओ मेरे गोपाल कन्हैया मोहन मुरली वाले,
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