राम के दरबार में जो आ गया।जिसने जो मांगा वो सबकुछ पा गया।
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आज सजाया दरबार बाला जी आओ कीर्तन में,
लाखों महफ़िल जहाँ में युंतो
तेरी महफ़िल सी महफ़िल नही है
दरबार तुम्हारा श्याम, दुनिया से निराला है,
प्यारा प्यारा मां तेरा दरबार है। सोना सोना मां तेरा दरबार है।
जहां बिराजे शीश का दानी,मेरा लखदातार।चलो रे खाटू के दरबार।
तेरी मुरली पे जाऊं बलिहार रसिया, में तो नाचूंगी तेरे दरबार रसिया।
जो भी आता है इस दर पे मिलता उसे जरुर है,
जब टूट जाता हु अपनों के सताने से,
मैं हार के दर तेरे आया हूँ,
मेरा दूजा कोई सहारा नहीं,
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