में गोवर्धन कूँ जाऊं मेरे वीर
नाँइ मानै मेरो मनुआं।
Tag: Aao shyam ji kanhaiya nandlal ji
द्वापर में कृष्ण कन्हैया ने,
क्या अद्भुद खेल रचाया था,
उठवा दे नंद के लाल गगरिया पानी की।
चुंदड़ी मखमल की,मखमल की, उसके चारों पल्ले लाल।
ओं मेरे कान्हा तेरा मुस्कुराना
भूल जाने के काबिल नहीं है।
काली कमली वालेया मैं तेरी हाँ
सोने नैना वालेया मैं तेरी हाँ।।
मदन मोहन तेरे ऊपर मुकदमा हम चलाएंगे।
हमारी गली कान्हा होके जाना। हमारी सुधि कान्हा लेते जाना।
बृज रज में लौट लगाय लीज्यो,
तू जब वृन्दावन आए,
तूं मान कही नंदलाल नही,थाने में रपट लिखाय दूंगी।
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