हे दशरथ नंदन दया करो, हम शरण तुम्हारी आए हैं
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लेलो शरण सांवरे,आया तेरे द्वार लेलो शरण सांवरे
हारा हू बाबा पर तुझपे भरोसा है,
शरण गोंपाल की रहकर,
तुझे किस बात की चिंता।।
सुनलो अरज हमारी,
मैं हूँ शरण तुम्हारी,
हम शरण तेरी आये है,
झुकाने को ये सर।।
मोर छड़ी थारे हाथा में, हीरो चमके माथा में।
खाटू वाला श्याम धनी से, हेत पुराना स
कितना प्यारा है सिंगार, तेरी लेऊं नजर उतार।
हम तो आए शरण में तुम्हारी,लाज हाथों में तेरे हमारी।