कंचन कांच का बणिया रे हनुमान,
चांदी की म्हारी दुर्गा माता।
Tag: Maiya to meri sharad punam ka chand hai
शरण गोंपाल की रहकर,
तुझे किस बात की चिंता।।
सुनलो अरज हमारी,
मैं हूँ शरण तुम्हारी,
रात बलम मोहे सपना आया। हो रही जय जयकार
अपने ही रंग में रंग डाली चुनरिया तेरी।
मैया कैसी मनोहर गलियां सजी।
फिर तेरे दरबार पे मां, सर को झुकाने आ गई
मैया तो मेरी शरद पूनम का चांद है