मुख से क्या वचन निकाला, ओ कैकैयी तूने क्या कर डाला।
Tag: Ghar rah jao janakdulari
राम नाम है सबसे प्यारा भवसागर से तारने वाला
आनंद छायो जनक नगरिया, कैसे सपरी।
राम नाम लाडूडो गोपाल नाम घी,
कोई तो ढूंढ के लाओ रे मेरा राम खो गया।
के लागे हनुमान राम तेरा के लागे।
ओ माली माली माली, चार फूल दे दे।
तेरी मर्ज़ी का में हूँ गुलाम, ओ मेरे अलबेले राम।
घर रह जाओ जनकदुलारी, वहां वन में दुख अति भारी।
जब धनुष जनक का तोड़ दिया,श्री राम चंद्र बलिहारी ने
You must be logged in to post a comment.