मत मांगो यह वचन रानी मेरे प्राण चले जाये,
होये अयोध्या अनाथ आज मेरे राम बिछड़ जाये॥
करि तपस्या गौर राजा ने पायो एक वरदान,
पुत्र रूप में प्रकट भये जग के तारणहार,
मत मांगो यह वचन रानी मेरे प्राण चले जाये,
होये अयोध्या अनाथ आज मेरे राम बिछड़ जाये॥
छोटा था माँ लाड लड़ाया, ऊँगली पकड़ राजा ने चलाया,
कहो अब कैसे कहूंगा वन को जाओ राम,
मत मांगो यह वचन रानी मेरे प्राण चले जाये,
होये अयोध्या अनाथ आज मेरे राम बिछड़ जाये॥
वन राम जाये लक्ष्मण जाये, जाये जानकी आज,
हो चली अयोध्या अनाथ आज मेरे प्राण चले जाये,
मत मांगो यह वचन रानी मेरे प्राण चले जाये,
होये अयोध्या अनाथ आज मेरे राम बिछड़ जाये॥
जीवन का अंतिम समय है मान लो मेरी बात,
राम बिन मैं नहीं रहूँगा छोड़ चलु अब प्राण,
मत मांगो यह वचन रानी मेरे प्राण चले जाये,
होये अयोध्या अनाथ आज मेरे राम बिछड़ जाये॥
भगत धर्म ये कहता हे भाई सुन लो यह निज नाम,
बिन राम के पार ना करसि भव सागर से पार,
मत मांगो यह वचन रानी मेरे प्राण चले जाये,
होये अयोध्या अनाथ आज मेरे राम बिछड़ जाये॥