तर्ज, उमराव थारी बोली
ऐ जी घनश्याम ,थारी मुरली कामनगारी म्हारा राज ।।म्हारा श्याम जी ,ओजी घनश्याम।
सुरत अति मनमोहनी, मीठी सी मुस्कान,
एक झलक दिखलाय के, पागल कर गयो प्राण।
ऐजी घनश्याम थारी चितवन पर बलिहारी म्हारा राज।म्हारा श्याम जी ,ओजी घनश्याम।
ऐ जी घनश्याम ,थारी मुरली कामनगारी म्हारा राज ।।म्हारा श्याम जी ,ओजी घनश्याम।
हरृये बांस की बांसुरी, मो मन गई समाय
ढलती राज जलायके,गजबन गई तरसाय
ऐजी घनश्याम कैसी मारी नेह कटारी म्हारा राज।।म्हारा श्याम जी ,ओजी घनश्याम।
ऐ जी घनश्याम ,थारी मुरली कामनगारी म्हारा राज ।।म्हारा श्याम जी ,ओजी घनश्याम।
लटक निराली श्याम की ,मेरै मन को चैन
दर्शन बिन गोपाल के , व्याकुल हो गये नैन
एजी घनश्याम थारी, सुरत लागै प्यारी म्हारा राज।।म्हारा श्याम जी ,ओजी घनश्याम।
ऐ जी घनश्याम ,थारी मुरली कामनगारी म्हारा राज ।।म्हारा श्याम जी ,ओजी घनश्याम।
श्याम बहादुर सांवरा ,थारै सू अरदास
सुध म्हारी लेता रियो, प्रति पल बारह मास,
ऐजी घनश्याम लागी ,थासू प्रीत पुरानी म्हारा राज।।म्हारा श्याम जी ,ओजी घनश्याम।
ऐ जी घनश्याम ,थारी मुरली कामनगारी म्हारा राज ।।म्हारा श्याम जी ,ओजी घनश्याम।