श्याम मनिहारिन रूप बनाय के चल दिए बरसाने की ओर।
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श्याम सलोना रूप है तेरा,
घुंघराले है बाल,
दादी ओढ़ ले टाबरिया थारी चुंदड़ ल्याया ये।
म्हाने चिंता है क्यांकी पड़ी,म्हारे पग पग पे दादी खड़ी।
गिनती कोन्या देहली ऊपर, कितना सथीया रोज मंडे।
बोल तने कईयां रिझाऊं मावड़ी।
खाले डट के रे भोग लगाले डट के।
दादी चुनरी मुलायी,तने भाई की ना भाई
आई सिंह पे सवार मैया ओढ़े चुनरी
थाने पलकां में छिपालयां,थाने हिवड़े से लगालयां,
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