म्हारा हरिया वन रा सुवटीया,तने राम मिले तो कहीजे रे।
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सुरता हल्की दे दे रोवेगी, जद चालेगी अकेली।
एसो कोई नहीं रे, हीरा को परखैया राम कोई नहीं रे।
सकल हंस में राम बिराजे ,
राम बिना कोई धाम नहीं।
म्हारी अजब बाग़ गुलज़ार
रंग रंग रा फूल खिले रे,
बुढिया तन्नैं भी होणा हे, हे सुण चमक चुंदड़ी आली।
कैसे बैठा रे आलस में मुख्य से राम कह्यो न जाये,
राम गुण गायले रे भाई म्हारा,
जब लग सुखी रे शरीर।
म्हारे राम बाग़ गुलज़ार
म्हारी अजब बाग़ गुलज़ार
बेगम देश वेद से न्यारा,
वहां नही काल पसारा।
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