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निर्गुण भजन nirgun Bhajan

Surta halki de de rowegi jad chalegi akeli,सुरता हल्की दे दे रोवेगी, जद चालेगी अकेली,nirgun bhajan

सुरता हल्की दे दे रोवेगी, जद चालेगी अकेली।

सुरता हल्की दे दे रोवेगी, जद चालेगी अकेली।

जे सुरता तने राम मिले तो हो सतगुरु की चेली। सत में रहना सत में सहना,हो सत्संग की चेली।सुरता हल्की दे दे रोवेगी, जद चालेगी अकेली।

अपने गुरु ने बिसार कर तूं दूजे के संग हैली।अमृत सोचकर विष का प्याला, पी गई विष की थैली।सुरता हल्की दे दे रोवेगी, जद चालेगी अकेली।

यम के दूत तने ले जागें डाल गले में थैली। धर्मराज तेरा लेखा लेगा डाल गले में थैली सुरता हल्की दे दे रोवेगी, जद चालेगी अकेली।

कहत कबीर सुनो म्हारी सुरता सो सो बरियां केहली।तुलसीदास शरण में आवे,छूट जा महल हवेली।सुरता हल्की दे दे रोवेगी, जद चालेगी अकेली।

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