उठवा दे नंद के लाल गगरिया पानी की।
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मैं तो सोये रही सपने में,
मेरे घर आए गोपाल ।
गोपी बने भोलेनाथ ब्रज में गोपी बने।
थारी मोह माया ने छोड़ ,
राम ने भज रे ।
तूं मान कही नंदलाल नही,थाने में रपट लिखाय दूंगी।
गोरी कलाई चूड़ा लाल बे,मेरी मां का चोला।
म्हारी बिगड़ी बात बना दे हो, ओ अंजनी के लाला।
लाल चोला सीदे दर्जी,
जब आवनगि दर पे सुनेगी अर्जी,
दीवाना भक्तों का बन बैठा गोपाल। राधिका रोके ना जाना है फिलहाल।
राम भजो सिया राम जगत में राम भजो सिया राम।
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