नरसी की गाड़ी देखो हाँके रे सांवरिया,
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भरदे मायरो साँवरिया,
नानी बाई लागे,
अब तिरछी नजर मेरे हरि की।
आजा आजा रे सांवरिया नरसी टेर सुनावे रे
तेरी ननद ने घरां खिंदा दी नही बाजन दिया व्याह का ढोल,
रास रच्यो है
यमुना के तट हरी
रास रच्यो है
चाल चाल म्हारी नानी बाई,कलश बंधाओ ये,
बता मेरे यार सुदामा रे, भई घणा दीना में आया