पंछीड़ा लाल आछि, पड़ियो रे उलटी पाटी।
Category: निर्गुण भजन nirgun Bhajan
भजन करो भरी जवानी में,बुढ़ापा किसने देखा से।
काया तेरी रेल बना दूंगी तब तेरो पिछो छोडूंगी
माला रो मणियो,
भजन वाली डोरी।
राम नाम नहीं भायों रे मन माया में फंस गयो
आया बुढ़ापा जब जानी,राम दगा दे गई जवानी
बड़ी दूर किनारा है,कश्ती भी पुरानी है।
बैठ दो घड़ी करले,प्रभु का भजन
तुझमे ओम मुझमें ओम सब में ओम समाया।
निंदिया बाई घर जइयो, जा घर राम भजन नहीं होय
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