निंदिया बाई घर जइयो, जा घर राम भजन नहीं होय।🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺
राम भजन नहीं होय, जा घर श्याम भजन नहीं होय॥
कै कोई जागे रोगी-भोगी, कै कोई जागे चोर।🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺
कै कोई जागे सन्त महात्मा, लगी हरि से डोर॥
निंदिया बाई घर जइयो, जा घर राम भजन नहीं होय।🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺
राम भजन नहीं होय, जा घर श्याम भजन नहीं होय॥
चार पहर धंधे में बीते, चार पहर गई सोय।
घड़ी एक हरि नाम न लीनो, मुक्ति कहाँ से होय॥🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺
निंदिया बाई घर जइयो, जा घर राम भजन नहीं होय।राम भजन नहीं होय, जा घर श्याम भजन नहीं होय॥
स्वर्ग अटारी चढ़ गई और, रही करम को रोय।🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺
कहत कबीर सुनो भई साधो, अब गति कैसी होय॥🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺
निंदिया बाई घर जइयो, जा घर राम भजन नहीं होय।🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺
राम भजन नहीं होय, जा घर श्याम भजन नहीं होय॥
निंदिया बाई घर जइयो, जा घर राम भजन नहीं होय।🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺
राम भजन नहीं होय, जा घर श्याम भजन नहीं होय।