काया माटी में मिल गई,
गईयोड़ा फेर नहीं आया।।
आज अपनी काल पराई,
फिर परसों को मालूम नहीं,
जो कुछ किया यहीं से किया,
साथ कुछ लेर नहीं आया,
काया माटी में मिल गयी,
गईयोड़ा फेर नहीं आया।।
रोटी कम खा थोड़ी गम खा,
कुछ कुछ लगा पून्य में तनखा,
मालिक के घर देर हुई,
अंधेर नहीं भाया,
काया माटी में मिल गयी,
गईयोड़ा फेर नहीं आया।।
पाया ना कोई नानो ना कोई नानी,
कहगा बड़ा बड़ा ये ज्ञानी,
जगत में कुण आवे कुण जावे,
कोई हेर नहीं पाया,
काया माटी में मिल गयी,
गईयोड़ा फेर नहीं आया।।
कांई करडाइ मे ले लो,
कर ले प्रेम फायदो रहलो,
कुदरत का रस भगवान,
सहाय मीठा फिर नहीं आया,
काया माटी में मिल गयी,
गईयोड़ा फेर नहीं आया।।
काया माटी में मिल गई,
गईयोड़ा फेर नहीं आया।।