तर्ज,चूड़ी जो खनके हाथ में
फागुण की रुत ऐसी आई है,
खाटू में मस्ती छाई है,
आये है दीवाने तेरे द्वार,
सांवरिया हमें दर्शन दो।।
हर गलियों में सांवरा,
लग रहे जयकारे है,
भक्ति भाव में डूब के,
नाच रहे हम सारे है,
आके तू भी संग नाच ले,
अब करो ना नखरे हजार,
सांवरिया हमें दर्शन दो,
आये है दीवाने तेरे द्वार,
सांवरिया हमें दर्शन दो।।
फागुण की रुत ऐसी आई है,
खाटू में मस्ती छाई है,
आये है दीवाने तेरे द्वार,
सांवरिया हमें दर्शन दो।।
किस्मत को वालो को ही बाबा,
अपने दर पे बुलाता है,
श्याम नाम के प्रेम से वो तो,
श्याम प्रेमी बन जाता है,
हाथों में निशान और श्याम नाम,
गूंजे है चारो ओर,
सांवरिया हमें दर्शन दो,
आये है दीवाने तेरे द्वार,
सांवरिया हमें दर्शन दो।।
फागुण की रुत ऐसी आई है,
खाटू में मस्ती छाई है,
आये है दीवाने तेरे द्वार,
सांवरिया हमें दर्शन दो।।
भूल ना जाना सांवरिया,
भक्तों की अरदास है
तेरे खाटू की बाबा,
बात ही कुछ खास है,
दर पे बुलाना हर साल रे,
लाये है मन की पुकार,
फागुण की रुत ऐसी आई है,
खाटू में मस्ती छाई है,
आये है दीवाने तेरे द्वार,
सांवरिया हमें दर्शन दो।।
सांवरिया हमें दर्शन दो,
आये है दीवाने तेरे द्वार,
सांवरिया हमें दर्शन दो।।