थारी कांई छै मनस्या, कांई छै विचार,
सुणियो जी म्हारा लखदातार।
Tag: Baba se hogi mulakat abke Fagan me
लो आ गया है फागुन निशान उठा लेंगे ,
कभी फगण में आया, कभी ग्यारस पे आया,
कभी भक्तों से मिलने आया करो,
फागुन के रंग उड़े पुरवा के संग चले,
चुनर के संग उड़े साड़ी रे,
फागुण की रुत ऐसी आई है,
खाटू में मस्ती छाई है,
श्याम-हवेली में मेरे बाबा,
लीले चढ़कर के अइयो,
श्याम जी फागण आ रहया से,
तेरी गेल्या खेलां होली।
बाबा से होगी मुलाकात अबके फागण मे।