सांवरिया थारा घुंघर वारा रे बाल।
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अवधपुरी के राजा हरिश्चंद्र, हो गए ऐसे दानी
भरदे मायरो साँवरिया,
नानी बाई लागे,
मैं नन्दलाल ना भुलाउंगी,
राणा मारो या छोड़ो,
आजा आजा रे सांवरिया नरसी टेर सुनावे रे
तेरी सुन मुरली की तान ओ तान, मैं तो भूल गई सुध सांवरिया।
म्हे तो होली खेलन आवंगा थारे संग, म्हारा साँवरिया।
मन में उठन लागी हूक,
सांवरिये के नाम की,
भूलूँ नाही एक घड़ी,
मैं सांवरिया थाने,