तर्ज,एक परदेशी मेरा दिल ले गया
कान्हा तेरे रूप का तो दिया सा जले।दिया सा जले।गोवर्धन मैदान घाटी पहाड़ के तले।
कान्हा तेरी रूप की दीवानी होय जाऊं में।मन मेरा मचले तो कैसे थम पाऊं में।🌺🌺🌺🌺कैसे थम पाऊं में।माथे पर तेरे मोर मुकुटियो,गहना सा खिले।गहना सा खिले।गोवर्धन मैदान घाटी पहाड़ के तले।
कान्हा तेरे रूप का तो दिया सा जले।दिया सा जले।गोवर्धन मैदान घाटी पहाड़ के तले।
मन मेरा करता है यहीं बस जाऊं में।कान्हा तेरे चरणों में जिंदगी बिताऊं में। जिंदगी बिताऊं में।मने तो सारी खुशियां तेरे चरणों में मिले।गोवर्धन मैदान घाटी पहाड़ के तले।
कान्हा तेरे रूप का तो दिया सा जले।दिया सा जले।गोवर्धन मैदान घाटी पहाड़ के तले।
आरती की शोभा न्यारी,तेरे दरबार में।दर्शन करके हुई दीवानी,कान्हा तेरे प्यार में।🌺🌺🌺चौखट पे खड़ा है कोई बैठा है तले।गोवर्धन मैदान घाटी पहाड़ के तले।
कान्हा तेरे रूप का तो दिया सा जले।दिया सा जले।गोवर्धन मैदान घाटी पहाड़ के तले।
देखी तेरी छवि निराली खुश हो गई आज में। गाऊ तेरा कीर्तन कमी ना हो साज में।कमी ना हो साज में।🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺तेरे हर भक्त तेरे नाम से चले।गोवर्धन मैदान घाटी पहाड़ के तले।
कान्हा तेरे रूप का तो दिया सा जले।दिया सा जले।गोवर्धन मैदान घाटी पहाड़ के तले।