पीपल की छांव में, ठंडी हवाओं में, बैठी है मेरी मैया, सबकी निगाहों में।
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सत्संग की गंगा मंदिर में बही जाय, जामे कोई कोई नहाए।
मंदिरों से मां ने टेलीफोन किया है।
गली गली एलान होना चाहिए, हर मंदिर में श्याम होना चाहिए।
मंदिर है काली का पर्दा है जाली का, पर्दा हटा लो मेरी मां मैं दर्शन करने आई ।
धन्य वह घर ही है मंदिर,
जहाँ होती है रामायण,
मंदिर बिच रहते ओ भोले बाबा।
मैया के द्वारे बड़ी भीड़ रे कैसे लीपूं अंगनवा।
अपने गम की दास्तां कैसे करूँ बयां
तू सब कुछ है जानती, अंतर्यामी माँ,
मेरे मन के छोटे मंदिर में मेरा श्याम सलोना रहता है,
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