मैया के द्वारे बड़ी भीड़ रे कैसे लीपूं अंगनवा।
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एकबार आओ जी दादीजी पावना
सावन को महीनो, मन में उठे हिलोर।
गाजे-बाजे से पधारो दादी आज, उड़ीके थारा टाबरिया।
दादी चुनरिया थारी चमचम चमके
भीड़ पड़यां थाने आयां सरसी। यो दुःखडो तो मिटायां सरसी।